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लेखनी कहानी -01-Jun-2023 कातिल कौन

भाग 40 
हीरेन ने इस केस को लगभग हल कर लिया था । उसकी इस सफलता पर अदालत में उपस्थित सब लोगों ने जोर से करतल ध्वनि करके अपनी भावनाओं को व्यक्त कर दिया था । जज साहब की नजरों में भी हीरेन दा के लिए बहुत सम्मान और प्रशंसा नजर आ रही थी । पूरी अदालत में उत्सव जैसा माहौल बन गया था । 

अदालत में मौजूद बहुत सी लड़कियां हीरेन दा का ऑटोग्राफ लेने के लिए उसके चारों ओर एकत्रित हो गईं थीं और उसकी योग्यता की प्रशंसा में कसीदे काढ़ रहीं थीं । कोई उससे पूछ रही थी कि आपने यह सब कैसे किया तो कोई कह रही थी कि जासूस लोग अपने काम करने के तरीके सार्वजनिक नहीं करते हैं । सार्वजनिक करने से उन पर हमला हो सकता है और उनकी जान पर संकट आ सकता है । 

मीना को उस लड़की की बात एकदम सही लगी । एक जासूस न जाने कैसे कैसे , कहां कहां से सूचनाऐं एकत्रित करता है, उनमें लिंक बैठाता है और उन सूचनाओं से संबंधित सबूत जुटाता है । इस काम के लिए वह साम, दाम, दंड, भेद सब कुछ प्रयोग में लेता है और अपनी तार्किक बुद्धि से केस सॉल्व करता है । तब जाकर उसे सफलता मिलती है । जासूसी में अपराधियों , गुंडों और मवालियों से अधिकतर सामना होता है इसलिए उसकी जान पर खतरा हमेशा बना रहता है । सफलता सबको नजर आती है पर सफलता प्राप्त करने के लिए किये गये प्रयास किसी को नजर नहीं आते हैं । केवल मीना जैसे अंतरंग लोगों को ही उनके कठिन प्रयासों के बारे में जानकारी मिल पाती है और वह भी आधी अधूरी ही । 

हीरेन के चारों ओर लड़कियों का झुंड देखकर मीना थोड़ी असहज हो गयी । "क्या पता कब कौन सी तितली हीरेन को ले उड़े" ? उसे सदैव यह डर सताता रहता था इसलिए वह हीरेन दा को दूसरी लड़कियों से दूर ही रखने का प्रयास करती थी । लेकिन भरी अदालत में जज साहब के सामने वह इन "तितलियों" को हीरेन से कैसे दूर करे ? वह समझ नहीं पा रही थी । 

लड़कियां थीं कि वे हीरेन दा को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थीं । एक लड़की कहने लगी "आप पान खाते हुए बहुत अच्छे लगते हैं । पान के रंग से रंगे आपके होंठ सुर्ख लाल गुलाब जैसे लगते हैं" । उसने जैसे ही हीरेन के बारे में इस तरह कहा तो बाकी सभी लड़कियों में होड़ लग गई । दूसरी कहने लगी "एक पान हमें भी खिलाइए न सर ? आपके हाथ से पान खाने का सौभाग्य फिर कब मिलेगा" ? तीसरी कहने लगी "पान खाने से इतनी एनर्जी कैसे मिल जाती है सर आपको ? या एनर्जी का राज कुछ और ही है" ? उसने मीना की ओर तिरछी नजरों से देखकर कहा । उसकी इस बात से मीना शरमा गई । 

चौथी लड़की बोली "आपके बाल बहुत सिल्की सिल्की हैं सर । जब आप इन्हें झटका देकर ऊपर की ओर करते हैं तो मुझे दामिनी फिल्म के वकील मिस्टर चढ्ढा की याद आ जाती है । ये अदा क्या आपने चढ्ढा जी से सीखी है" ? इस पर बाकी लड़कियां ही ही करके हंस पड़ी । इस बात से मीना बुरी तरह चिढ गई । उसके हीरो की तुलना एक विलेन से करने पर मीना का चिढना स्वाभाविक ही था । वह ऐसी बातें कैसे सहन कर लेती ? उसे तो हीरेन में कोई कमी नजर आती ही नहीं थी । मीना ने लपक कर उस लड़की की चुटिया पकड़ ली और गुस्से से कहा "खबरदार, जो हीरेन दा की तुलना अमरीश पुरी से की, मुंह नोंच लूंगी मैं तेरा" ।

हीरेन के इर्द-गिर्द मंडराई हुई लड़कियों में भगदड़ मच गई और वे वहां से खिसकने लगी । सब लड़कियों के चले जाने के बाद मीना ने हीरेन से कहा "आज ही इन लंबी लंबी जुल्फों को कटवा दो और फौजी स्टाइल में बाल करवा लो । मैं आपको विलेन के गेट अप में नहीं देखूंगी अब । आपको कोई विलेन जैसा बताए , यह मुझे स्वीकार्य नहीं है" । हीरेन आश्चर्य से मीना का मुंह देखता ही रह गया । "यह तो शादी से पहले ही इतना हुक्म चला रही है ? शादी के बाद जिंदा रहने देगी या नहीं" ? उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं । उसके भयभीत चेहरे को देखकर मीना की हंसी छूट पड़ी । 

जज साहब बड़ी देर से इस परिदृश्य को देख रहे थे । अब उन्होंने दखल देने की आवश्यकता महसूस की । उन्होंने सामने पड़ा हुआ हथौड़ा उठाया और दो बार मेज पर 'ठक ठक' करके मारा और जोर से "ऑर्डर ऑर्डर" कहा । जज साहब के मेज पर हथौड़ा मारने और ऑर्डर ऑर्डर बोलने से मीना सहम गई और अपनी सीट पर आकर बैठ गई । उसके मस्तिष्क में यह बात घूमने लगी कि ये जज लोग मेज पर हथौड़ा दो बार ही क्यों मारते हैं ? ऑर्डर ऑर्डर भी दो बार ही क्यों कहते हैं ? एक बार तो उसकी इच्छा हुई कि वह जज साहब से यह बात पूछ ले लेकिन जज साहब के तेवर देखकर उसने अपना इरादा बदल दिया । 

मीना की बात हीरेन नहीं माने, ये संभव ही नहीं था । वह तो "तू जो बोले हां तो हां, तू जो बोले ना तो ना" फिल्म "प्रियतमा" के गाने का मुरीद था इसलिए उसके लिए मीना का हर शब्द एक आदेश की तरह था । लड़कियां आदमी को कितना बदल देती हैं और बाद में कहती हैं कि अब आप पहले वाले प्रेमी, आशिक, साजन नहीं रहे । "चित्त भी मेरी, पट्ट भी मेरी और अंटा मेरे बाप का" इस लोकोक्ति का जितना उपयोग (दुरुपयोग ) लड़कियों ने किया है इसका उदाहरण संसार में और कहीं नहीं मिलेगा । 

हीरेन की एनर्जी को बूस्ट करने के लिए मीना ने एक और पान निकाला और हीरेन के मुंह में दे दिया । लोग मीना और हीरेन की बॉन्डिंग देखकर दांतों तले उंगली दबा रहे थे । मीना इतनी बोल्ड होगी, इसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी । अब पता चल गया था कि मीना हीरेन के लिए कुछ भी कर सकती थी । हीरेन के लिए उसके मन में एक ही भाव थे 
"तुम्हीं मेरे मंदिर तुम्हीं मेरी पूजा 
तुम्ही देवता हो, तुम्ही देवता हो" 

हालांकि कभी कभी उसके मन में खयाल आता है । वैसे सबके मन में कभी कभी ही क्यों हमेशा ही कुछ न कुछ खयाल आता रहता है पर हो सकता हे कि "कभी कभी" फिल्म के गीतकार के मन में "कभी कभी" ही खयाल आते हों ? बहरहाल, वह सोचती थी कि उसकी शादी हीरेन से नहीं हुई थी । उसके घरवाले उसकी शादी किसी जासूस से करने के पक्ष में नहीं थे और हीरेन उनकी मर्जी के खिलाफ शादी करने के पक्ष में नहीं था । दोनों की जिद के बीच बेचारी मीना "दो पाटों के बीच" पिस रही थी । पर उसने भी सोच लिया था कि 
"सजी नहीं बारात तो क्या 
आई न मिलन की रात तो क्या 
ब्याह किया तेरी यादों से 
गठबंधन तेरे वादों से 
बिन फेरे हम तेरे , बिन फेरे हम तेरे 
हो बिन फेरे हम तेरे, बिन फेरे हम तेरे" 

इस गीत की पंक्तियों से उसे बहुत ऊर्जा मिलती थी । उसके अधरों पर यह गीत सदैव सजा रहता था । 

श्री हरि 
27.6.23 

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6 Comments

Gunjan Kamal

03-Jul-2023 09:24 AM

शानदार भाग

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Punam verma

03-Jul-2023 08:04 AM

Nice

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Abhinav ji

28-Jun-2023 08:50 AM

Very nice 👍

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Hari Shanker Goyal "Hari"

28-Jun-2023 09:13 AM

🙏🙏

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